दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥ जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa